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इस पोला पर्व को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई थी अंत मे सभी नन्दी यों को दौड़ा कर तोरण तोड़ी गई पोला पर्व के दौरान जो नन्दी सबसे ज्यादा सुंदर तरीके से सजा कर लाये गए थे उन्हें पुरस्कार देकर विदा किया गया ।
बैल किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। किसान बैलों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्नमाता गर्भ धारण करती है यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता । बैल किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। किसान बैलों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। कई गांवों में इस अवसर पर बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है, यह त्योहार दरअसल कृषि आधारित पर्व है। वास्तव में इस पर्व का मतलब खेती-किसानी, जैसे निंदाई, रोपाई आदि का कार्य समाप्त हो जाना है, लेकिन कई बार अनियमित वर्षा के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। महाराष्ट्र प्रदेश से सटे जिलों में इस पोला की धूम रहती है ।
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