(भैंसदेही शंकर राय) जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। जीवन में तमाम दुश्वारियों के होते लोगों को दूसरे की मदद करते हैं। ऐसे लोगों को समाज में एक अलग ही नजरिए से देखा जाता है। आज महिला दिवस पर हम भैंसदेही की एक सामाजिक कार्यकर्ता और नगर परिषद उपाध्यक्ष के बारे में लोगों को बताने जा रहे हैं। किस तरह से उन्होंने दोहरी जवाबदारी अपने जीवन में निभाई है।

उन्होंने कदम से कदम मिलाकर हर कठिनाइयों में अपने पति का साथ दिया तो दूसरी ओर गरीब और जरूरत मंदों के साथ खड़ी रही। आज भी वे गरीबों के बीच जाकर उनके सुख दुख में अपनी सहभागिता निभाते नजर आती है। उनके सहज और सौम्य स्वभाव के कारण भैंसदेही के लोग उन्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा ही मान और सम्मान देते हैं। वर्तमान में वे उपाध्यक्ष पद पर है इसके बावजूद लोग उन्हें उपाध्यक्ष के रूप में नहीं बल्कि अपने परिवार के सदस्य के रूप में ही जानती है।

कोरोना काल में भी उन्होंने दिल खोलकर लोगों की मदद की थ, लेकिन कभी अखबारों की सुर्खियां नहीं बनी। यदि सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बात करें तो सहज सहज ही लोगों की जुबा पर उनका नाम आ जाता है। हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए वे सबसे आगे खड़ी नजर आती है। जब वे किसी राजनैतिक पद पर नहीं थी तो उन्होंने अपने पति का हर कदम पर साथ दिया। जरूरतमंदों की मदद के साथ-साथ अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चली।

उनके पति राजा ठाकुर की सफलता का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वे स्वंय है। यह बात उनके पति भी कई बार खुलेमंच से कह चुके हैं। आज भैंसदेही के लोगों को गर्व महसूस होता है कि वे नगर परिषद उपाध्यक्ष के पद पर रहते हुए भी एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गरीबों की मदद के लिए
