भैंसदेही संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने हलषष्ठी पर्व मनाया। वार्ड क्रमांक 2 में रविन्द्र सिंह ठाकुर के निवास पर महिलाओं ने सामुहिक रूप से एकत्रित होकर पूजा-अर्चना की और पारंपरिक रूप से हलषष्ठी का व्रत रखा। हलषष्ठी का त्योहार भादो कृष्ण पक्ष की छठ को मनाया जाता है। इसी दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का भी जन्म हुआ था। इस व्रत में पेड़ों के फल बिना बोया अनाज आदि खाने का विधान है। कविता कावडक़र ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि महिलाओं द्वारा हलछठ का व्रत रखने और पूजा अर्चना करने से पुत्र दीर्घायु होते हैं और घर में खुशहाली आती है। इसी मान्यता के अनुरुप मंगलवार को महिलाओं ने भोर पहर ही स्नान कर हलछठ व्रत का शुभारंभ किया। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छोटे मिट्टी या चीनी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरतीं हैं। हलषष्ठी माता की कथा सुनाकर और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर महिलाओं ने पुत्र की लंबी आयु का आशीर्वाद मांगा।
