भैंसदेही विधानसभा में जयस तय करेगा कांग्रेस-भाजपा की जीत का समीकरण निर्दलीय राहुल,हेमराज को मिलने वाले वोटों पर टिकी है सबकी नजर।

(भैंसदेही शंकर राय )जिले की सुरक्षित विधानसभा भैंसदेही में करीबी मुकाबला होना तय माना जा रहा है। यह एकमात्र विधानसभा है जहां पर भाजपा से बागी होकर मैदान में कूदे निर्दलीय राहुल चौहान और जयस के उम्मीदवार संदीप धुर्वे ने भाजपा कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है निर्दलीय और जयस जिस पार्टी के अधिक वोट काटेंगी उसको नुकसान होना तय है। चौकाने वाली स्थिति सामने आ सकती है कि पिछले चुनाव में भैंसदेही विस से जीत का आंकड़ा इस बार सिमट कर काफी कम हो सकता है। इसके पीछे जयस और निर्दलीय उम्मीदवार राहुल, हेमराज को मिलने वाले वोट बताए जा रहे हैं। आदिवासी और कोरकू समाज से पटे पड़े हैं। 60 प्रतिशत आबादी इसी समाज की होने के कारण जीत-हार को लेकर सारे समीकरण दोनों समाज पर।
चेहरा बन रहा पहचान, योजनाएं गायब !
पूरे क्षेत्र में चल रही चर्चाओं पर यकीन करें तो आदिवासी अंचल होने के कारण यहां उम्मीदवारों के चेहरे पर देखकर वोट डाले गए हैं। चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी धरमू सिंह सिरसाम की छवि बेदाग है। वहीं भाजपा से उम्मीदवार बनाए गए महेंद्र सिंह चौहान को लेकर कुछ क्षेत्रों में दमदार छवि बताई जा रही है, लेकिन पांच साल उनकी सक्रियता नहीं रहने के भी कारण सामने आ रहे हैं। दूसरी तरफ जिला पंचायत चुनाव में जीत हासिल करने के बाद जयस के जिला अध्यक्ष संदीप धुर्वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय है, इसलिए वे जाना पहचाना चेहरा है। वहीं जिला महामंत्री बनने के बाद राहुल चौहान अपने गृह ग्राम दामजीपुरा और आसपास के अलावा पूरे क्षेत्र में खासी पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सके। यही वजह है कि यहां जीत-हार का फैक्टर चेहरा बन सकता है। यदि योजनाओं की बात करें तो इस आदिवासी क्षेत्र में यह फैक्टर न के बराबर दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि जीत हार को लेकर सारे समीकरण बिगड़ते जा रहे हैं।
निर्भर रहते हैं, चूंकि भैंसदेही एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है, इसलिए जीत हार का दारोमदार भी उन्हीं पर है। भाजपा ने तीन बार के पूर्व विधायक रहे महेंद्र सिंह चौहान ।पर दांव खेला तो उनके पार्टी के ही जिला महामंत्री राहुल चौहान बागी हो गए। वे ताकत से मैदान में है। दूसरी तरफ भैंसदेही में कांग्रेस का जयस से गठबंधन नहीं हो पाया। कांग्रेस ने विधायक धरमू सिंह सिरसाम को फिर मौका दिया। नाराज जयस ने जिला अध्यक्ष संदीप धुर्वे को पार्टी उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस खेमे में सेंधमारी करने का प्रयास किया है। यही वजह है कि चुनाव परिणामों पर सभी की नजर टिकी हुई है।
              क्या बोलता है गणित
भैंसदेही विधानसभा में कुल 262226 मतदाता है। इनमें से 220971 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। यानी पूरे जिले में सर्वाधिक लगभग 84 प्रतिशत मतदाताओं ने रिकार्ड मतदान कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। राजनैतिक जानकारों की माने तो भैंसदेही में हार जीत जयस और निर्दलीय राहुल, हेमराज,को मिलने वाले वोटों पर टिकी है। यानी निर्दलीय या जयस में से जो भी उम्मीदवार वोट अधिक काटेगा भाजपा कांग्रेस की जीत-हार तय होगी। वैसे यहां जीत-हार का फैक्टर काफी अलग चल रहा है। दामजीपुरा, भीमपुर और भैंसदेही क्षेत्रों में कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है। इनमें से कुछ अंचलों में जयस का अच्छा जोर दिखाई दे रहा है। दामजीपुरा के होने के कारण निर्दलीय प्रत्याशी राहुल चौहान को सहानुभूति मिल सकती है, लेकिन वे निर्णायक वोट ले पाएंगे, इसकी संभावनाएं काफी कम दिखाई दे रही है।

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